हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने कहां,इस दीन के दायरे में, इंसानी ज़िंदगी का हर मैदान आता है, इंसान के दिल की गहराइयों से लेकर समाजी विषयों तक, राजनैतिक मामलों से लेकर अंतर्राष्ट्रीय मामलों और हर उस विषय तक जिसका इंसानियत से तअल्लुक़ है।
क़ुरआने मजीद में ये बात पूरी तरह स्पष्ट है, यानी अगर कोई इस बात का इन्कार करता है तो उसका मतलब ये है कि उसने यक़ीनन क़ुरआन के स्पष्ट आदेशों व शिक्षाओं पर ध्यान नहीं दिया हैंआर्थिक विषयों की बात की जाए तो क़ुरआने मजीद एक जगह कहता हैः और वे अपने ऊपर दूसरों को तरजीह देते हैं चाहे उन्हें ख़ुद (उस चीज़ की) ज़रूरत हो। (सूरए हश्र, आयत 9) कि जो एक निजी अमल है और एक अन्य जगह पर वो कहता हैः ताकि वो (माल) तुम्हारे मालदारों के बीच ही न घूमता रहे। (सूरए हश्र, आयत 7) ये दौलत के सही बंटवारे की बात है जो सौ फ़ीसदी सामाजिक मामला है।
क़ुरआने मजीद फ़रमाता हैः ताकि लोग इंसाफ़ पर क़ायम हो जाएं। (सूरए हदीद, आयत 25) बुनियादी तौर पर पैग़म्बर, अल्लाह के प्यारे बंदे और सभी लोग इंसाफ़ क़ायम करने के लिए आएं हैं, न्याय की स्थापना के लिए ... यानी क़ुरआने मजीद आर्थिक विषयों की हर आयात और सभी बिंदुओं को इस बुनियादी सोच, बुनियादी नज़रिए और बुनियादी मार्गदर्शन के ढांचे में बयान करता हैं
जिनके लिए अमली तौर पर योजना बनाई जानी चाहिए लेकिन उसकी दिशा और बुनियादी बिंदु वही हैं जो क़ुरआन बयान कर रहा है। इसका मतलब ये है कि सभी मामलों पर इस्लामी की नज़र है।
इमाम ख़ामेनेई,
आपकी टिप्पणी